यह हमारी रोजमर्रा के जीवन का अनुभव है, सबके साथ होता है। आप किसी विशिष्ट कार्य का संकल्प लेकर काम कर रहे हैं। थोड़ी बहुत अड़चन तो हर काम में आती हैं। हो सकता है कई दिनों,महीनों और कभी-कभी तो कई सालों तक कोई उसमें प्रगति न हो। तो आप उस कार्य को छोड़ देते हैं। जबकि वह कार्य पूरा होने पर ही था। सफलता आपको मिलने को ही थी। मगर आप धीरज गंवा बैठे। कोशिश छोड़ दी और असफलता आपके हाथ लगी। बाद में आपको महसूस होता है कि यह कैसी गलती मुझ से हो गई। कोलोराडो की सोने की खानों का एक किस्सा है। सालों तक एक व्यक्ति कई सौ मजदूरों को लेकर खानों में सोने के तलाश में रोज मेहनत कर उसे खोदते थे। मगर दूर-दूर तक सोने का कोई अता पता न था। हताश-निराश, परेशान होकर उस व्यक्ति ने अपनी खानों को बेचने का मन बना लिया. और एक धनपति को सारी खानें बेच दी। उस धनपति ने वही मजदूरों को और थोड़ा गहरा खोदने के लिए कहा। और सब के आश्चर्य के बीच कुछ दूरी पर उन्हें सोना दिखाई पड़ा। वह धनपति तो आश्चर्यचकित हो गया कि सिर्फ थोड़े से प्रयत्न ने ही उसे और अमीर बना दिया। दूसरी तरफ वह लाचार व्यक्ति माथा पीट कर रोने लगा सोचने लगा काश थोड़े दिन और खुदाई हो जाती तो उसका भाग्य बदल जाता। किसी भी कार्य की सफलता के पीछे निरंतर प्रयास प्रथम सूत्र है। Consistency। चाहे वह कैरियर में तरक्की को पाना हो, बच्चों में पढ़ाई को लेकर हो, किसी व्यापारी को अपना बिजनेस जमाना हो या फिर किसी अध्यात्म के खोजी को ध्यान का रास्ता प्रस्तुत करना हो। सूत्र एक ही है – लगे रहना। निरंतरता। स्वयं में विश्वास को बनाए रखते हुए जिस कार्य में ईश्वर ने आपको निमित बनाया है उसमें पूर्ण अपना 100% देते रहना। बिना किसी फल की इच्छा से। फल तो अस्तित्व के हाथ में है। और वह मिलना निश्चित है।
Sakshi Narendra @mysticvision.net