दो ही रास्ते हैं ऊर्जा के बहाव के लिए। एक तो है जब आप अपनी जीवन ऊर्जा शरीर और मन के माध्यम से विनाश की ओर ले जाएं। और दूसरा है कि जब आप उसी उर्जा को दिशा दे, आत्मा की ओर मोडे। जब आप अपनी उर्जा को शरीर और मन के द्वारा व्यय करते हैं तब आप अपने जीवन में नर्क का निर्माण करते हैं। और जब ऊर्जा को उर्दगमन कर उसे आत्मा की और मोड़ते हैं तब आप अपने जीवन में स्वर्ग का निर्माण करते हैं। स्वर्ग और नर्क कोई भौगोलिक क्षेत्र नहीं अपितु ऊर्जा के द्वारा निर्मित की गई मनोस्थिति है। हमारी जो जीवन ऊर्जा है वह अगर नीचे की ओर बहती है तो संसार का निर्माण करती है और यही जीवन ऊर्जा जब उर्द गमन करती है तो हमें परमात्मा से मिलाती है आनंद का अनुभव कराती है। यही जीवन ऊर्जा क्रोध बनती है। और यही जीवन ऊर्जा रूपांतरित हो करुणा भी बन जाती है।
आपने देखा होगा कि एक क्रोधी व्यक्ति जब पूर्णतया क्रोध से भर जाता है तब वह भारी से भारी पत्थर को भी आसनी से उठा लेता है कारण है कि ऊर्जा संग्रहित हो गई। ध्यान के साधक के लिए भी ऊर्जा का बहुत महत्व है। जब साधक विचार शून्यता की पगडंडियों पर चलता है तो धीरे-धीरे उसके भीतर भी उर्जा संग्रहित होने लगती है यही ऊर्जा भीतरी कई अनुभूतियों को जन्म देती है जैसे कि अतींद्रिय ज्ञान, तीसरी आंख का खुलना, Astral travel, कई विशिष्ट प्रकार की आवाजों को सुनना इत्यादि। सांसारिक जगत में भी आपने ऊर्जा के इस्तेमाल के बारे में अनुभव किया होगा। आप जब भाग रहे होते हैं वह सामान्य भागना और एक जब कोई छूरा लेकर आपके पीछे भागे और तब जो आपका भागना होता है उसकी गति बहुत तेज होती है। यह ऊर्जा आई कहां से ? आपके भीतर की संग्रहित ऊर्जा से ही इस परिस्थिति का निर्माण हुआ। ऊर्जा के संबंध में एक और बात भी अनुभव में आती है कि जो व्यक्ति जितना ऊर्जावान होता है उतना वह सर्जनात्मक होने लगता है। सृजनात्मकता और ऊर्जा संवर्धन का आपसी मेलजोल है। व्यक्ति जितना उर्जा से ओतप्रोत होता जाएगा वह उतना ही सृजनात्मक कार्य करने में अपनी उर्जा का इस्तेमाल करेगा। चाहे वह नृत्य हो, कला हो, पेंटिंग, गायकी का क्षेत्र या फिर इसी तरह की कोई और सर्जनात्मकता हो। यह भी अनुभव में आया है की सर्जनात्मक व्यक्ति धीरे धीरे कामवासना से ऊपर उठ जाता है क्योंकि उसकी ऊर्जा अब सर्जनात्मक कार्य में इस्तेमाल हो जाती है। कितने ही painters और कला जगत से जुड़े हुए लोग इस कारण ही अविवाहित रहते हैं। Sublimation of Energy व्यक्ति विकास और उसकी चेतना को विस्तार प्रसार और उत्कृष्ट अभिव्यक्ति का माध्यम बनती है।
‘Sakshi’Narendra@mysticvision.net