हम जीवन का एक तिहाई समय सोने में गुजार देते हैं। मगर हमें यह पता ही नहीं होता कि हम कब सोए ? हमें जागने का तो भान रहता है कब तक जागे मगर सोते हम बेहोशी में हैं। क्योंकि हम जागने में जागे हुए नहीं जीवन को जीते इसलिए हमें नींद में जागरण का अनुभव नहीं होता। जो जागे हुए जिया नहीं ,वह नींद को कैसे जाकर सो सकेगा ? हम ज्यादा समय यह सोच विचार करने में बिता देते हैं कि हम क्या करें और क्या न करें ? इस बात पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता कि हमने कार्य को होशपूर्वक किया या नहीं ? महावीर कहते हैं – करो चाहे कुछ भी, मगर होशपूर्वक होकर करो। जो व्यक्ति होशपूर्वक होकर दिन में कार्यों को करता है वह नींद में भी होश को लेकर आता है। जिस दिन आपकी नींद होशपूर्ण हो जाती है आप अनकॉन्शियस में प्रवेश करते हैं। चेतन मन की क्रियाओं की तरफ जागने का परिणाम यह होता है कि आप अचेतन मन में प्रवेश करते हैं। और अचेतन मन में जागने पर आप समष्टि यानि collective unconscious में प्रवेश करते हैं। स्वप्न अचेतन मन की क्रिया है। जब आप स्वप्न की क्रिया में जागना शुरू करते हैं तब आपका प्रवेश अचेतन मन में हो जाता है। तब आपके स्वप्न तिरोहित होने लगते हैं। यानि आप अपने स्वप्न के भी साक्षी हुए।समष्टि अचेतन collective unconscious में ही दुनिया की सारी mythology का निर्माण हुआ है। हमारे सारे धर्मों का जन्म, ध्वनियां, सृष्टि का जन्म मरण, पृथ्वी की सारी गतिविधियां यहां से शुरू हुई। अनहद नाद का आविर्भाव समष्टि अचेतन में ही हुआ है। जो व्यक्ति समष्टि अचेतन में जाग जाता है वह सामूहिक अचेतन Cosmic unconscious में प्रवेश करता है या कहें ब्रह्म अचेतन में प्रवेश करता है। इसे हमने प्रकृति भी कहा है। Conscious – Unconscious – Collective unconscious – Cosmic unconscious – Super conscious. जो व्यक्ति अतिचेतन Cosmic Unconscious मैं पहुंच जाता है वह Super Conscious को भी प्राप्त कर लेता है। साधक को चाहिए कि वह अपनी छोटी-छोटी दैनिक क्रिया होशपूर्वक होकर करें। उठना, चलना, भोजन जैसे कार्य होशपूर्वक होकर करना शुरू करें। तब धीरे-धीरे यही होश नींद में प्रवेश करता है। तब नींद भी जागरण बन जाती है।
‘Sakshi Narendra @mysticvision.net