जीवन में Dedication आपको निश्चय ही सफलता दिलाता है। K.Asif की Mughal-e-Azam किसने नहीं देखी होगी। उसके कई गाने- प्यार किया तो डरना क्या, मोहब्बत जिंदा रहती है आज भी हमारे कानों में गूंजते हैं। K.Asif ने इतनी लग्न से इस फिल्म को बनाया कि कलाकारों के costume सिलवाने के लिए कारीगर दिल्ली से लाए गए। गहनों के सिंगार के लिए कारीगर हैदराबाद से बुलाए गए। एंब्रॉयडरी के कारीगर सूरत से लाए गए। मुकुट इत्यादि कोल्हापुर से, और युद्ध के हथियार राजस्थान से लाए गए। यूं कहें कि K. Asif ने एक चलचित्र के लिए पूरा भारत मुंबई के अंदर ही उपस्थित कर दिया। अकबर की भूमिका के लिए उन्होंने पृथ्वीराज कपूर को लिया। और यह शर्त रखी थी कि उनको अपना वजन बढ़ाना पड़ेगा। और पृथ्वीराज कपूर ने ऐसा ही किया। और 8 साल में सिर्फ एक ही पिक्चर करी। 1944 में शुरू हुई यह फिल्म 1960 में तैयार हुई।पूरे 16 वर्ष एक ही फिल्म को तैयार करने में जीवन के बीत गए। K. Asif का सपना था कि यादगार न भूतो न भविष्यति ऐसी कोई फिल्म तैयार हो। न उनका कोई खाने पर ध्यान था, न पीने पर सिर्फ एक फिल्म के पीछे ही उनकी लगन ऐसी थी कि जब पिक्चर को मराठा मंदिर में प्रदर्शित किया गया तो ग्यारह सौ लोगों की कैपेसिटी के सामने 100000 लोग थिएटर के बाहर खड़े थे। और फिल्म ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। एक एक गाने में 11 सौ से अधिक लोगों का फिल्मांकन हुआ तब जाकर mughal-e-azam तैयार हुई। जब व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरी समग्रता से ओतप्रोत हो लगन से कार्य को करता है और सफलता की अटूट अनुकंपा उसके भीतर होती है तो परिणाम जरूर आते हैं।
‘Sakshi’Narendra@mysticvision.net