जीवन में नकारात्मकता से भरा हुआ चित् स्वत: ही असफलता और विनाश को उपलब्ध होता है। शुभ भावनाओं और सकारात्मकता से भरा हुआ चित् बड़ी से बड़ी कठिनाइयों के रहते भी, चुनौतियों के अंदर भी आशा को ढूंढ लेता है। यह बात है चीन की, जहां पर एक सम्राट हुआ। उसके राज्य में एक प्रसिद्ध जादूगर रहता था। एक दिन जादूगर के मन में आया कि क्यों न सम्राट के महल में जाया जाए। और जादू के कुछ करतब दिखाए जाएं। ताकि सम्राट यदि प्रसन्न हो जाए तो कुछ धन उपलब्ध हो जाए। जिससे जीवन सुगम हो। वह जादूगर सम्राट के दरबार में गया। उसने एक के बाद एक बड़े ही आश्चर्यचकित करने वाले जादू दिखाएं। एक जादू को करते वक्त सम्राट का मुकुट उड़ गया। सम्राट को जब यह पता चला कि जादूगर की वजह से उसका मुकुट उड़ गया और राजदरबारी उस पर हंसने लगे तो सम्राट को बड़ा क्रोध आया। उसने घोषणा की कि जादूगर को तुरंत फांसी पर लटकाया जाए। जादूगर बड़ा सकारात्मक आशावादी व्यक्ति था। फांसी पर लटकाने की घड़ियां निकट आई । रसम के तहत सम्राट ने जादूगर से पूछा – क्या तुम्हारी कोई अंतिम इच्छा है ? जादूगर ने जवाब दिया कि आपने मुझे फांसी पर लटकाने की घोषणा की है। मगर इसके साथ ही मुझे जो सिद्धि प्राप्त है वह भी मर जाएगी ! मैं ऐसे जादू को जानता हूं जिसको करने से घोड़ा उड़ने लगे। मुझे आप एक साल का समय दें और मैं आपके राज दरबार के किसी भी घोड़े को उड़ाकर दिखाऊंगा। राजा को बड़ा विस्मय हुआ । उसके मन में यह विचार आया कि यदि मेरे पास ऐसा घोड़ा आ जाए जो उड़ भी सकता हो तो मैं सारे विश्व में इकलौता ऐसा सम्राट हो जाऊंगा जिसके पास ऐसा घोड़ा हो। और उसने जादूगर को एक साल के लिए मुक्त कर दिया और उसे एक घोड़ा दिया जिसे उसे एक साल के भीतर उड़ना सिखाना होगा । शाम को जब जादूगर अपने घर आया उसकी पत्नी ने पूछा कि तुम यह निश्चयपूर्वक कैसे कह सकते हो कि तुम साल भर में सम्राट का घोड़ा उड़ाकर दिखा दोगे ? जादूगर ने कहा इस परिस्थिति में चार संभावनाएं हैं । पहली तो यह
कि एक साल के भीतर हो सकता है कि सम्राट का घोड़ा ही मर जाए। दूसरी यह कि हो सकता है कि सम्राट की ही मृत्यु हो जाए। तीसरी यह कि एक साल में मेरी ही मृत्यु हो जाए। और चौथी यह एक साल में हो सकता है घोड़ा उड़ने भी लग जाए । इस जगत में सबकुछ संभव है ।और यदि इन चारों संभावनाओ में से भी कुछ भी न हुआ तो एक बात तो निश्चित है कि मैं तो एक साल ज्यादा जी लूंगा। यह सोच कर मैंने मेरी अंतिम इच्छा सम्राट को कह दी। जीवन में चुनौती भरे क्षण आते हैं,जो व्यक्ति अपने चित् के भीतर हमेशा आशावादी होता है वह अपने लिए कोई रास्ता जरूर तलाश कर लेता है। इसके विपरीत जो व्यक्ति नकारात्मक होता है वह किसी शुभ संभावनाओं के आने के सारे द्वार को भी बंद कर देता है। हमें जीवन में सदा ही आशावादी, उर्जा से संपन्न और श्रद्धा युक्त चित् वाला होना चाहिए।
‘Sakshi’Narendra@mysticvision.net