नींद भी जागरण हो सकती है।
हम जीवन का एक तिहाई समय सोने में गुजार देते हैं। मगर हमें यह पता ही नहीं होता कि हम कब सोए ? हमें जागने का तो भान रहता है कब तक जागे मगर सोते हम बेहोशी में हैं। क्योंकि हम जागने में जागे हुए नहीं जीवन को जीते इसलिए हमें नींद में जागरण का…