गुरु सेतु है।
जो छीन जाए वह परमात्मा नहीं। जो छीन जाए वह संपदा नहीं। मौत भी जिसे छीन न सके, उसको पा लेना ही सब कुछ पा लेना है। वह संपदा सभी के भीतर है। शाश्वत के साथ संबंध जुड़े तो ही मृत्यु से ऊपर उठा जा सकता है। और तभी असली मायनों में जीवन शुरू हुआ…