द्वंद
व्यक्ति विकास की यात्रा चार चरणों में से होकर गुजरती है। पहला चरण है- नकारात्मकता, दूसरा चरण है- सकारात्मकत, तीसरा है- नकारात्मकता और सकारात्मकता के बीच संतुलन कायम करना और चौथा है- तीनों चरणों से मुक्ति अर्थात साक्षी भाव में स्थित हो जाना। जिसको अध्यात्म के ऋषियों ने मोक्ष, निर्वाण या बुद्धत्व कहा है। अक्सर…