ज्ञान और प्रेम
ज्ञानी कभी परमात्मा को नहीं जान सकता। सिर्फ प्रेमी ही परमात्मा को जान सकता है। ज्ञानी तो उलझा रहता है शास्त्रों को कंठस्थ करने में, तर्क, वितर्क में और अपनी बौद्धिकता में। प्रेम द्वार है परमात्मा का। ज्ञानी प्रेम से नहीं, शास्त्रों से परमात्मा को जानना चाहता है। परमात्मा को जानना है मन के पार…