रसो वैसा
जिसे यह बोध ही नहीं – ‘मैं कौन हूं’ वह जो भी कुछ करेगा गलत ही करेगा। वास्तविक जीवन की यात्रा ‘मैं कौन हूं’ के जानने के बाद ही शुरू होती है और तभी सच्चे अर्थों में सफलता मिलती है। बेहोशी में उठाया गया हर कृत्य असफलता को लेकर आएगा। ये निश्चित है। क्षणिक सफलता…