कर्म बंधन

परमात्मा को समर्पित हुआ भक्त सब उसे न्योछावर कर देता है। वह कुछ नहीं करता। जिसे करने योग्य मानता है, वही करता है। ऐसे करने में उसकी अपनी कोई मर्जी नहीं रह जाती। राजा जनक भगवान अष्टावक्र को कहते हैं – यत्‌ वेति तत्‌ स कुरुते। अर्थात भगवान को समर्पित हुआ भक्त वही करता है…

ध्यान

ध्यान ज्ञान और भक्ति का सार है। ध्यान निचोड़ है दोनों का। जिसको भक्त प्रीति कहता है, जिसको ज्ञानी बोध कहता है। ध्यान बोध और प्रीति का निचोड़ है। अगर आपके पास कुछ फूल भक्ति के हैं और कुछ फूल ज्ञान के और दोनों को निचोड़ कर तुमने इत्र बनाया वही है ध्यान।  ध्यान भक्त…

नए जीवन की संभावना

मैंने सुना है जापान में एक कौम है ‘समुराई’ जो युद्ध में जाने से पहले एक प्रथा से गुजर जाना नहीं भूलते और वह है – स्वयं को मार डालने की। इस रीत से गुजर जाने के बाद ही वह योद्धा से लड़ते हैं। तात्पर्य यह है कि युद्ध में जाने से पहले आप का…