कर्म बंधन
परमात्मा को समर्पित हुआ भक्त सब उसे न्योछावर कर देता है। वह कुछ नहीं करता। जिसे करने योग्य मानता है, वही करता है। ऐसे करने में उसकी अपनी कोई मर्जी नहीं रह जाती। राजा जनक भगवान अष्टावक्र को कहते हैं – यत् वेति तत् स कुरुते। अर्थात भगवान को समर्पित हुआ भक्त वही करता है…