गुरु के पास होना मृत्यु के पास होना है । सही सुना आपने । मैं आपसे फिर दौराह दू। गुरु के पास होना मृत्यु के पास होना है । गुरु के पास होना तपस्चर्या है । हिमालय पर जा घर बार छोड़ साधना तपस्या करनी तो आसान है मगर घर में ही रहकर अपनी सारी संसारीक जिम्मेदारियों को निर्वाह करते हुए गुरु की आज्ञा में रहना वास्तविक साधना है । गुरु के साथ होना तुम्हें निखार जायेगा । तुम्हें उघाड़ा जाएगा। तुम्हारी पर्सनेलिटी की एक के बाद एक परतों को उतार बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा । आपने जो मुखौटे चढ़ा रखे हैं, उन्हें परत दर परत उतारा जाएगा । फिर जो आपका व्यक्तित्व बाहर आएगा वही आपका असली स्वरूप होगा । यही फर्क है मोटिवेशनल ट्रेनर और गुरु में । मोटिवेशनल ट्रेनर आपको बनाएगा । आपको स्वयं से दूर ले जाएगा । मगर गुरु इससे पूरा उल्टा करेगा । वह आपको मिटाएगा । आपको स्वयं से मुलाकात कराएगा।
हर व्यक्ति रूपांतरण चाहता है । मगर वो तभी संभव है जब उसकी प्रक्रिया भीतर से बाहर हो । न की बाहर से भीतर । ट्रेनर का रूपांतरण का तरीका ऊपर ऊपर से है । उसकी पूरी कोशिश कुछ करने,कुछ न करने पर है । उसका जोर क्रियाओं पर है । जबकि गुरु का एकमात्र काम आपके होश को जगाने में है । होश जगते ही आप निखर जायेगे । आपका व्यक्तित्व मौलिक हो जायेगा । आपकी यूनीकनेस को आप प्राप्त कर पायेंगे।
आज का दौर क्रिएटिविटी का है । क्रिएटिविटी जो मौलिकता से जिसका जन्म हो । ऐसे व्यक्तित्व से आप ब्रांड बनते है । गुरु आपको आपके भीतर की नकरात्मकता से मुक्ति दिलाता है । होश जगते ही आप कौन हैं? का आपको दर्शन होता है । आप अपने चेतना जगत से जुड़ते हैं। और यहीं से शुरू होती है नई दास्तान ।
एक जन्म आपको अपने माता पिता से मिलता है । और दूसरा जन्म आपको गुरु देता है । इसी को अध्यात्म के ऋषियों ने ‘द्विज’ की संज्ञा दी है । दूसरा जन्म । Twice born ।
गुरु का शब्द आपको विश्व में और कहीं नहीं मिलता सिर्फ भारत में ही मिलता है । विश्व में और कहीं भी टीचर शब्द का उपयोग होता है । टीचर शब्द का मतलब है जो आपको सिखाता है । गुरु आपको सिखाता नहीं बल्कि जो आपने सीखा है उसको मिटाने का काम करता है । और जब आप मिटाने के लिए तैयार होते हो तब जो मौलिकता आपके भीतर आती है वही कार्य है गुरु का । और यही फर्क है गुरु और मोटिवेशनल ट्रेनर में ।
‘Sakshi’Narendra@mysticvision.net